शिव पुराण हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है। यह भगवान शिव की महिमा, उनके जीवन और उनकी लीलाओं को बयान करता है। इस पुराण में कई कहानियाँ हैं जो हमें जीवन के मूल्य, भक्ति और अच्छाई की राह दिखाती हैं। आज हम इस लेख में शिव पुराण की कुछ खास कहानियों को हम अपने वेबसाइट पर आसान भाषा में जानेंगे, ताकि बच्चे, बूढ़े और हर कोई इसे समझ सके और जानकारी ले सके!
*शिव और सती की विवाह कहानी!
शिव पुराण की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है भगवान शिव और सती का विवाह। सती राजा दक्ष की बेटी थीं। दक्ष बहुत शक्तिशाली थे, लेकिन उन्हें अपने दामाद के रूप में शिव को स्वीकार करना पसंद नहीं था। शिव एक साधु थे, जो कैलाश पर्वत पर ध्यान में लीन रहते थे। उनके गले में साँप, शरीर पर भस्म और हाथ में त्रिशूल होता था। दक्ष को यह सब अजीब लगता था।
लेकिन सती को शिव से पहली नजर में पसंद हो गया। उन्होंने अपने पिता से कहा, "मैं शिव से शादी करना चाहती हूँ।" दक्ष ने बहुत मना किया, पर सती नहीं मानीं। आखिरकार, सती ने तपस्या शुरू की। उनकी भक्ति देखकर शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने सती से विवाह कर लिया। यह प्रेम कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार रंग-रूप या धन-दौलत नहीं देखता।
हालांकि, बाद में दक्ष ने एक यज्ञ किया और शिव-सती को नहीं बुलाया। सती फिर भी गईं और अपने पिता से शिव का सम्मान करने को कहा। दक्ष ने शिव का अपमान किया, जिससे सती को बहुत दुख हुआ। उन्होंने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी। यह सुनकर शिव क्रोधित हुए और दक्ष का अंत कर दिया। बाद में सती पार्वती के रूप में फिर से जन्मीं। यह कहानी भक्ति और बलिदान की मिसाल है।
*समुद्र मंथन और शिव का विषपान !
एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन करने का फैसला किया। वे अमृत पाना चाहते थे, जो उन्हें अमर बना दे। मंथन के लिए मंदार पर्वत को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी बनाया गया। जैसे ही मंथन शुरू हुआ, समुद्र से कई चीजें निकलीं—रत्न, लक्ष्मी, धन, और फिर एक भयानक विष, जिसे हलाहल कहते हैं।
यह विष इतना खतरनाक था कि सारी सृष्टि नष्ट हो सकती थी। सब डर गए। तब देवताओं ने शिव से मदद माँगी। शिव ने बिना सोचे विष को अपने हाथ में लिया और उसे पी लिया। विष उनके गले में अटक गया, जिससे उनका गला नीला पड़ गया। इसलिए उन्हें "नीलकंठ" कहा जाता है। पार्वती ने उनकी मदद की और विष को नीचे नहीं जाने दिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि दूसरों की भलाई के लिए खुद को खतरे में डालना कितना बड़ा काम है।
*गणेश और कार्तिकेय की परीक्षा !
शिव और पार्वती के दो बेटे थे—गणेश और कार्तिकेय। एक दिन पार्वती ने एक फल दिया और कहा, "जो पहले पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर आएगा, उसे यह फल मिलेगा।" कार्तिकेय अपने मोर पर सवार होकर तेजी से निकल पड़े। लेकिन गणेश ने सोचा, "मेरे लिए माता-पिता ही सारी दुनिया हैं।" वे शिव और पार्वती के चारों ओर सात चक्कर लगाकर बैठ गए।
जब कार्तिकेय लौटे, तो देखा कि गणेश पहले ही फल ले चुके थे। उन्होंने पूछा, "आपने दुनिया का चक्कर कैसे लगाया?" गणेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरे लिए माता-पिता ही सब कुछ हैं।" शिव और पार्वती बहुत खुश हुए। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि और भक्ति से बड़े-बड़े काम आसानी से हो सकते हैं।
*रावण और शिव का भक्त !
रावण को हम लंकापति और राम का दुश्मन मानते हैं, लेकिन वह शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश की, ताकि वह उसे लंका ले जाए। शिव ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबा दिया। रावण का हाथ नीचे दब गया और वह दर्द से चिल्लाने लगा।
फिर उसने अपनी गलती मानी और शिव की स्तुति में "शिव तांडव स्तोत्र" गाया। उसकी भक्ति से शिव प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया। यह कहानी बताती है कि सच्ची भक्ति से भगवान का दिल जीता जा सकता है, भले ही इंसान में कुछ कमियाँ हों।
*भस्मासुर और शिव की चतुराई !
एक बार भस्मासुर नाम के राक्षस ने शिव की तपस्या की। शिव ने उसे वरदान माँगने को कहा। भस्मासुर ने कहा, "मुझे यह शक्ति दो कि मैं जिसके सिर पर हाथ रखूँ, वह भस्म हो जाए।" शिव ने वरदान दे दिया। लेकिन भस्मासुर ने सोचा, "अगर मैं शिव को ही भस्म कर दूँ, तो मैं सबसे शक्तिशाली बन जाऊँगा।"
वह शिव के पीछे दौड़ा। शिव भागे और विष्णु के पास पहुँचे। विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया और भस्मासुर से नृत्य करने को कहा। नृत्य में मोहिनी ने सिर पर हाथ रखने का इशारा किया। भस्मासुर ने वैसा ही किया और खुद भस्म हो गया। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुरे इरादे हमेशा खुद को नुकसान पहुँचाते हैं।
*शिव का तीसरा नेत्र !
शिव के तीन नेत्रों की कहानी भी बहुत रोचक है। एक बार पार्वती ने पीछे से आकर शिव की आँखें ढक दीं। अचानक सारी सृष्टि में अंधेरा छा गया। फिर शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला, जिससे आग निकली और दुनिया फिर से रोशन हुई। यह तीसरा नेत्र ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है। यह कहानी बताती है कि शिव न सिर्फ रक्षक हैं, बल्कि सृष्टि के संतुलन को भी बनाए रखते हैं।
*नंदी की भक्ति!
नंदी शिव का वाहन और सबसे बड़ा भक्त है। एक बार एक ऋषि का बेटा शिलाद मर गया। शिलाद ने शिव से प्रार्थना की। शिव ने उसे जीवित कर दिया और वह नंदी बन गया। नंदी ने कहा, "मैं हमेशा आपके पास रहना चाहता हूँ।" शिव ने उसे अपना वाहन बना लिया। नंदी आज भी हर शिव मंदिर में उनके सामने बैठे दिखते हैं। यह कहानी सच्ची भक्ति और वफादारी की मिसाल है।
शिव पुराण की ये कहानियाँ हमें बहुत कुछ सिखाती हैं ! बलिदान, बुद्धि, भक्ति और अच्छाई। शिव एक ऐसे देवता हैं जो साधु भी हैं और सृष्टि के रक्षक भी। उनकी कहानियाँ बच्चों को रोमांचित करती हैं और बड़ों को जीवन का अर्थ समझाती हैं। ये कहानियाँ हमें बताती हैं कि मुश्किल वक्त में भी धैर्य और भक्ति से हर समस्या का हल निकल सकता है।
शिव पुराण की ये कहानियाँ अनोखी हैं और हर बार सुनने में नया आनंद देती हैं। अगर आपको ये पसंद आईं, तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें!
