खोया हुआ सपना ||Hindi kahaniyan

 ये वो छोटी-छोटी चिंगारियाँ हैं जो हमारे मन में जलती हैं। कोई सपना देखता है कि वो आसमान में उड़े, कोई चाहता है कि उसके पास ढेर सारा पैसा हो, तो कोई बस इतना चाहता है कि उसका परिवार खुश रहे। सपने हर इंसान के अपने होते हैं, और इनका पीछा करना हमें जिंदगी में आगे बढ़ने की ताकत देता है। लेकिन क्या होता है जब कोई सपना खो जाता है? क्या वो हमेशा के लिए गायब हो जाता है, या फिर कहीं हमारे दिल के किसी कोने में छुपा रहता है? आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो शायद आपके अपने सपनों को फिर से जगाने में मदद करे। ये कहानी है एक छोटे से गाँव के लड़के की, जिसका नाम था रमेश !


रमेश एक साधारण लड़का था। गाँव में उसका घर मिट्टी का बना था, छप्पर की छत थी, और सामने एक छोटा सा आँगन। उसके माँ-बाप खेतों में काम करते थे। सुबह सूरज उगने से पहले वो उठ जाता, गायों को चारा डालता, और फिर स्कूल के लिए तैयार होता। स्कूल गाँव से दो किलोमीटर दूर था, और रमेश पैदल ही जाता था। रास्ते में वो खेतों को देखता, पंछियों की आवाज़ सुनता, और अपने मन में सपने बुनता। उसका एक सपना था—वो एक दिन बड़ा आदमी बनेगा, अपने माँ-बाप के लिए पक्का घर बनवाएगा, और गाँव के बच्चों के लिए एक अच्छा स्कूल खोलेगा।


रमेश को पढ़ाई से बहुत प्यार था। उसकी किताबें पुरानी थीं, कहीं-कहीं पन्ने फटे हुए थे, लेकिन वो उन्हें बड़े चाव से पढ़ता। उसकी टीचर, शांति मैडम, हमेशा कहतीं, "रमेश, तुममें कुछ खास है। तुम्हारी आँखों में चमक है। अपने सपनों को मत छोड़ना।" रमेश उनकी बात सुनकर मुस्कुराता और सोचता कि एक दिन वो सचमुच कुछ बड़ा कर दिखाएगा।


लेकिन जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती। जब रमेश बारह साल का था, उसके पिता बीमार पड़ गए। खेतों में काम करने की ताकत उनमें नहीं बची थी। घर का सारा बोझ अब उसकी माँ पर आ गया। रमेश देखता कि उसकी माँ दिन-रात मेहनत करतीं, फिर भी पेट भर खाना मुश्किल से मिलता। एक दिन उसकी माँ ने कहा, "रमेश, अब तुम्हें स्कूल छोड़कर खेत में हाथ बँटाना होगा। हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है।" रमेश का दिल टूट गया। उसने अपनी किताबों को एक पुराने संदूक में रख दिया और खेतों में काम शुरू कर दिया। उसका सपना—वो बड़ा बनने का, पक्का घर बनाने का, स्कूल खोलने का—धीरे-धीरे धुँधला होने लगा।


सपने खोने का दर्द वही समझ सकता है जिसने कभी सपने देखे हों। रमेश अब सुबह उठता, खेतों में जाता, पसीना बहाता, और शाम को थककर घर लौटता। उसकी आँखों की चमक कहीं खो सी गई थी। लेकिन कहीं न कहीं, उसके दिल के एक कोने में वो सपना अभी भी साँस ले रहा था। रात को जब सब सो जाते, वो चुपके से अपनी किताबें निकालता और चाँद की रोशनी में पढ़ने की कोशिश करता। वो सोचता, "क्या मेरा सपना सचमुच खो गया है? या फिर इसे फिर से जगा सकता हूँ?"


समय बीतता गया। रमेश अब जवान हो गया था। उसके पिता की तबीयत थोड़ी सुधरी, लेकिन घर की हालत अभी भी वैसी ही थी। एक दिन गाँव में एक मेले का आयोजन हुआ। मेले में एक बूढ़ा आदमी किताबें बेच रहा था। रमेश उसके पास रुका। उसने एक किताब उठाई, जिसका नाम था "सपनों की उड़ान"। बूढ़े ने मुस्कुराकर कहा, "लड़के, ये किताब उन लोगों के लिए है जो अपने सपनों को फिर से ढूँढना चाहते हैं।" रमेश ने वो किताब खरीद ली। उस रात उसने उसे पढ़ना शुरू किया। किताब में लिखा था कि सपने कभी मरते नहीं, वो बस सो जाते हैं। अगर हिम्मत और मेहनत हो, तो उन्हें फिर से जगा सकते हैं।


रमेश के मन में फिर से उम्मीद जगी। उसने सोचा, "मैं अभी जवान हूँ। मेरे पास वक्त है। मैं अपने सपने को फिर से पूरा कर सकता हूँ।" उसने फैसला किया कि वो खेतों में काम के साथ-साथ कुछ और करेगा। गाँव के पास एक छोटा सा बाजार था। रमेश ने वहाँ सब्जियाँ बेचने का काम शुरू किया। दिन में खेत, और शाम को बाजार। थकान बहुत होती, लेकिन वो हार नहीं माना। जो पैसे बचते, वो उन्हें जमा करता। उसने सोचा कि पहले अपने परिवार की हालत सुधारेगा, फिर अपने सपने की ओर बढ़ेगा।


कई सालों की मेहनत के बाद, रमेश ने अपने माँ-बाप के लिए एक छोटा सा पक्का घर बनवा दिया। उसकी माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। लेकिन रमेश का सपना अभी पूरा नहीं हुआ था। उसने गाँव के बच्चों के लिए एक छोटी सी पाठशाला शुरू की। वो खुद उन्हें पढ़ाता। उसकी पुरानी टीचर, शांति मैडम, अब बूढ़ी हो चुकी थीं। जब उन्हें ये पता चला, वो रमेश से मिलने आईं। उन्होंने कहा, "रमेश, तुमने अपना सपना नहीं खोया। तुमने उसे जिंदा रखा। मुझे तुम पर गर्व है।"


रमेश की कहानी हमें सिखाती है कि सपने खोते नहीं, वो बस कहीं छुप जाते हैं। जिंदगी में मुश्किलें आती हैं, लेकिन अगर हिम्मत न हारी जाए, तो हर सपना पूरा हो सकता है। रमेश आज अपने गाँव में एक मिसाल है। बच्चे उसे देखकर सोचते हैं कि वो भी अपने सपनों को सच कर सकते हैं। बूढ़े उसकी मेहनत की तारीफ करते हैं। और रमेश? वो अब रात को चैन से सोता है, क्योंकि उसने अपने खोए हुए सपने को फिर से पा लिया।


तो दोस्तों, अगर आपका भी कोई सपना कहीं खो गया है, तो उसे ढूँढिए। शायद वो आपके दिल के किसी कोने में आपका इंतज़ार कर रहा हो। हिम्मत करिए, मेहनत करिए, और अपने सपने को उड़ान दीजिए। क्योंकि सपने वो चिड़िया हैं, जो पिंजरे में बंद हो सकती हैं, लेकिन मर नहीं सकतीं।


खोया हुआ सपना ||Hindi kahaniyan खोया हुआ सपना ||Hindi kahaniyan Reviewed by Health gyandeep on अप्रैल 04, 2025 Rating: 5

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