ganesh ji ki utpatti: उस मिट्टी को प्यार से गूंथा और उससे एक सुंदर बच्चे की मूर्ति बनाई एक अनोखी कहानी..

 गणेश जी, जिन्हें हम गणपति, विनायक या एकदंत के नाम से भी जानते हैं, हिंदू धर्म के सबसे प्यारे और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी हाथी का सिर, और छोटा-सा चूहा जो उनकावाहन है, उन्हें सबसे अलग और खास बनाता है। बच्चे हों या बूढ़े, हर कोई उनकी कहानी सुनना और उनकी पूजा करना पसंद करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि गणेश जी की उत्पत्ति कैसे हुई? उनकी कहानी में ऐसा क्या है जो उन्हें इतना अनोखा बनाता है? चलिए, आज हम एक सरल और रोचक भाषा में उनकी उत्पत्ति की कहानी जानते हैं,। यह एक ऐसी कहानी है जो आपके दिल को छू जाएगी और आपको गणेश जी के और करीब ले जाएगी।!


ganesh ji ki utpatti -बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर हर तरफ हरियाली थी और पहाड़ों पर बर्फ चमकती थी। कैलाश पर्वत पर माता पार्वती और भगवान शिव रहते थे। शिव जी अक्सर ध्यान में लीन रहते थे या फिर अपने भक्तों की मदद के लिए कहीं चले जाते थे। माता पार्वती अकेली रह जाती थीं। एक दिन पार्वती जी ने सोचा, "क्यों न मैं अपने लिए एक ऐसा बनाऊं जो हमेशा मेरे पास रहे, मेरी बात माने और मेरे घर की रक्षा करे?" यह विचार उनके मन में आया और उन्होंने फैसला किया कि वह अपने हाथों से एक नन्हा बालक बनाएंगी।


पार्वती जी ने अपने स्नान के समय शरीर पर लगाई हुई हल्दी और चंदन की मिट्टी को इकट्ठा किया। उस मिट्टी को प्यार से गूंथा और उससे एक सुंदर बच्चे की मूर्ति बनाई। वह मूर्ति इतनी प्यारी थी कि देखते ही मन खुश हो जाए। फिर पार्वती जी ने उस मूर्ति के सामने बैठकर प्राण-प्रतिष्ठा की। उन्होंने अपनी शक्ति से उस मिट्टी के बच्चे में जान डाल दी। जैसे ही उनकी आंखें खुलीं, वह मूर्ति एक जीवित बच्चे में बदल गई। उसका चेहरा गोल-मटोल था, आंखें चमक रही थीं और मुस्कान ऐसी कि कोई भी उसे देखकर प्यार कर बैठे। पार्वती जी ने उसे गले लगाया और कहा, "तू मेरा बेटा है, मेरा गणेश।

ganesh ji ki utpatti !


*गणेश का पहला काम -मां की रक्षा !

पार्वती जी ने गणेश को बहुत प्यार दिया और उसे अपना सबसे खास रक्षक बनाया। एक दिन पार्वती जी स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने गणेश से कहा, "बेटा, तुम दरवाजे पर खड़े रहो और किसी को भी अंदर मत आने देना। मैं जब तक न कहूं, तुम अपनी जगह से हिलना भी मत।" गणेश ने मां की बात मानी और दरवाजे पर पहरा देने लगा। वह छोटा था, लेकिन उसका हौसला बहुत बड़ा था।


उसी समय भगवान शिव कैलाश लौटे। उन्हें नहीं पता था कि पार्वती जी ने एक बेटा बनाया है। शिव जी ने जैसे ही गुफा में प्रवेश करने की कोशिश की, गणेश ने उन्हें रोक दिया। "रुक जाओ! मां ने कहा है कि कोई अंदर नहीं जा सकता," गणेश ने अपनी नन्ही आवाज में कहा। शिव जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने सोचा, "यह छोटा बच्चा मुझे रोक रहा है? मैं तो स्वयं कैलाश का स्वामी हूं!" शिव जी ने गणेश को हटाने की कोशिश की, लेकिन गणेश अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। Ganesh ji ke story



शिव जी का गुस्सा बढ़ता गया। उन्होंने अपने त्रिशूल को उठाया और गणेश से कहा, "हट जाओ, वरना मुझे तुम्हें हटाना पड़ेगा।" लेकिन गणेश ने हार नहीं मानी। वह अपनी मां के आदेश को पूरा करने के लिए डटा रहा। आखिरकार, शिव जी का क्रोध चरम पर पहुंच गया। उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर काट दिया। एक पल में सब शांत हो गया। गणेश का छोटा-सा शरीर जमीन पर गिर पड़ा।


जब पार्वती जी बाहर आईं और अपने बेटे को इस हाल में देखा, तो उनका दिल टूट गया। वह रोते हुए शिव जी के पास गईं और बोलीं, "यह मेरा बेटा था, जिसे मैंने अपनी शक्ति से बनाया था। आपने इसे क्यों मार दिया?" शिव जी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने पार्वती जी से कहा, "मैं इसे फिर से जीवित कर दूंगा। तुम चिंता मत करो।ganesh ji ki utpatti !



शिव जी ने अपने गणों को आदेश दिया, "जाओ और जो भी पहला प्राणी तुम्हें मिले, उसका सिर लेकर आओ। लेकिन ध्यान रखना, वह प्राणी उत्तर दिशा में मुंह करके सो रहा हो।" गणों ने जंगल में एक हाथी को देखा, जो उत्तर दिशा में सो रहा था। उन्होंने उसका सिर काटकर शिव जी के पास लाया। शिव जी ने उस हाथी के सिर को गणेश के शरीर से जोड़ दिया और अपनी शक्ति से उसे फिर से जीवित कर दिया।


जब गणेश की आंखें खुलीं, तो वह पहले से भी ज्यादा प्यारा लग रहा था। उसका हाथी जैसा सिर, बड़ी-बड़ी आंखें, और लंबी सूंड उसे सबसे अलग बनाती थी। पार्वती जी खुशी से झूम उठीं और शिव जी ने भी गणेश को गले लगाया। उन्होंने कहा, "आज से तुम मेरे भी बेटे हो। तुम हर काम में सबसे पहले पूजे जाओगे। तुम विघ्नहर्ता कहलाओगे, जो हर मुश्किल को दूर करेगा।


* गणेश का चूहा और उनकी शक्ति !

गणेश जी को एक छोटा-सा चूहा भी मिला, जो उनका वाहन बना। आप सोच रहे होंगे कि इतना बड़ा गणेश और इतना छोटा चूहा? लेकिन यही तो गणेश जी की खासियत है। वह दिखाते हैं कि छोटी से छोटी चीज भी बड़ी ताकत रख सकती है। चूहा उनकी आज्ञा मानता है और हर जगह उनके साथ जाता है।


*गणेश जी का महत्व

गणेश जी की यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार, हौसला और मां-बाप का आशीर्वाद कितना कीमती होता है। वह हर मुश्किल को आसान बनाने वाले देवता हैं। बच्चे उन्हें अपने दोस्त की तरह चाहते हैं, और बड़े उन्हें अपनी हर शुरुआत का आधार मानते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन लोग उनके जन्म का उत्सव मनाते हैं, मोदक बनाते हैं (जो उनकी पसंदीदा मिठाई है), और उनकी पूजा करते हैं।


कहते हैं कि जब गणेश जी को हाथी का सिर मिला, तो जंगल के सारे जानवर उनके पास आए। उन्होंने गणेश जी से कहा, "आप हमारे दोस्त के सिर को लेकर इतने सुंदर लग रहे हैं। क्या हम भी आपके साथ रह सकते हैं?" गणेश जी ने मुस्कुराकर कहा, "हां, तुम सब मेरे दोस्त हो।" तभी से गणेश जी को प्रकृति और जानवरों का भी रक्षक माना जाता है।


यह कहानी गणेश जी की उत्पत्ति को एक नए और सरल तरीके से बताती है। यह न तो बहुत जटिल है और न ही पुरानी किताबों की तरह भारी-भरकम। बच्चे इसे आसानी से समझ सकते हैं, और बूढ़े इसे सुनकर मुस्कुरा सकते हैं। गणेश जी की यह कहानी हमें बताती है कि हर मुश्किल में एक नई शुरुआत छुपी होती है।pauranik katha!


ganesh ji ki utpatti: उस मिट्टी को प्यार से गूंथा और उससे एक सुंदर बच्चे की मूर्ति बनाई एक अनोखी कहानी.. ganesh ji ki utpatti: उस मिट्टी को प्यार से गूंथा और उससे एक सुंदर बच्चे की मूर्ति बनाई एक अनोखी कहानी.. Reviewed by Health gyandeep on अप्रैल 05, 2025 Rating: 5

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