श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ |Shri Krishna ke leelayen

 भगवान श्रीकृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रिय और पूजनीय अवतारों में से एक हैं। वे न केवल एक योद्धा, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे, बल्कि उनकी लीलाएँ भी ऐसी हैं जो हर उम्र के लोगों को आकर्षित करती हैं। उनकी बाल लीलाओं से लेकर महाभारत में उनकी भूमिका तक, श्रीकृष्ण का जीवन प्रेम, शरारत, ज्ञान और धर्म का अनूठा संगम है। इस लेख में हम भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सरल और रोचक भाषा में जानेंगे, जो आपके मन को छू जाएगी और आपको उनके जीवन के हर पहलू से परिचित कराएगी। हम इस प्रकार वेबसाइट पर विस्तार रूप से जानेंगे !



श्रीकृष्ण का जन्म  -एक चमत्कारी श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की एक कारागार में हुआ था। उनके माता-पिता, देवकी और वासुदेव, उनके मामा कंस की कैद में थे। कंस को भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका अंत करेगा। इस डर से उसने देवकी के पहले छह बच्चों को जन्म लेते ही मार डाला। सातवां बच्चा बलराम थे, जिन्हें चमत्कारिक ढंग से योगमाया ने रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। आठवें बच्चे के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। उस रात, जब श्रीकृष्ण पैदा हुए, एक अलौकिक शक्ति ने जेल के ताले खोल दिए, पहरेदार सो गए, और वासुदेव उन्हें एक टोकरी में लेकर यमुना नदी पार करके गोकुल पहुंचे। वहां नंद बाबा और यशोदा ने उन्हें अपने बेटे की तरह पाला। यह जन्म अपने आप में एक लीला थी, जो दर्शाती है कि ईश्वर की शक्ति हर बाधा को पार कर सकती है।



माखनचोर की लीला गोकुल में श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ शुरू हुईं। छोटे-छोटे पैरों से वे गोकुल की गलियों में अपने दोस्तों के साथ खेलते थे। उनकी सबसे प्यारी शरारत थी माखन चोरी। वे और उनके ग्वाल दोस्त मिलकर गोपियों के घरों में घुसते, मटकियों से माखन चुराते और बड़े चाव से खाते। गोपियाँ जब शिकायत लेकर यशोदा माता के पास जातीं, तो श्रीकृष्ण अपनी मासूम मुस्कान और चतुर बहानों से सबको मना लेते। एक बार यशोदा माता ने उन्हें पकड़ लिया और ओखली से बांध दिया, लेकिन श्रीकृष्ण ने दो पेड़ों को गिराकर अपनी शक्ति दिखा दी। यह लीला हमें सिखाती है कि जीवन में मासूमियत और चतुराई का संतुलन कितना खूबसूरत हो सकता है।


पूतना वध श्रीकृष्ण की शक्ति का पहला प्रदर्शन तब हुआ जब कंस ने पूतना नामक राक्षसी को उन्हें मारने भेजा। पूतना एक सुंदर स्त्री का रूप लेकर गोकुल आई और श्रीकृष्ण को गोद में लेकर जहरीला दूध पिलाने लगी। लेकिन नन्हे श्रीकृष्ण ने उसका सारा प्राण चूस लिया और उसे मार डाला। पूतना का विशाल शरीर धरती पर गिर पड़ा, और गोकुल वासी हैरान रह गए कि एक छोटा बच्चा इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है। यह लीला श्रीकृष्ण की दैवीय शक्ति का प्रतीक है और बताती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत निश्चित है।


तृणावर्त और बकासुर का वध -श्रीकृष्ण की लीलाओं में कई राक्षसों का वध शामिल है। कंस ने तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा, जो बवंडर का रूप लेकर श्रीकृष्ण को उड़ा ले गया। लेकिन श्रीकृष्ण ने उसका गला दबाकर उसे मार डाला। इसी तरह बकासुर नामक बकरे के रूप में आए राक्षस को श्रीकृष्ण ने अपनी बाहों से उसकी चोंच फाड़कर खत्म कर दिया। ये लीलाएँ दर्शाती हैं कि श्रीकृष्ण बचपन से ही अधर्म के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार थे।


गोवर्धन पर्वत की लीला श्रीकृष्ण की सबसे प्रेरणादायक लीलाओं में से एक है गोवर्धन पर्वत को उठाना। गोकुल में लोग इंद्र की पूजा करते थे, लेकिन श्रीकृष्ण ने कहा कि गोवर्धन पर्वत और गायें उनकी आजीविका का आधार हैं, इसलिए उनकी पूजा करनी चाहिए। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे गोकुल में बाढ़ आ गई। श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सात दिन-सात रात तक गोकुल वासियों को बारिश से बचाया। अंत में इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से माफी मांगी। यह लीला पर्यावरण संरक्षण और अहंकार के नाश का संदेश देती है।


रासलीला वृंदावन में श्रीकृष्ण की रासलीला उनकी सबसे मनमोहक लीला है। जब वे अपनी बांसुरी बजाते थे, तो उसकी मधुर धुन सुनकर गोपियाँ अपने घर-परिवार छोड़कर उनके पास चली आती थीं। चांदनी रात में यमुना के किनारे श्रीकृष्ण हर गोपी के साथ नृत्य करते थे। यह चमत्कार था कि हर गोपी को लगता था कि श्रीकृष्ण सिर्फ उसके साथ हैं। रासलीला को केवल प्रेम कहानी नहीं समझना चाहिए; यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में कोई बंधन नहीं होता।


अधर्म का अंत श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी लीला थी कंस का वध। कंस ने उन्हें और बलराम को मथुरा में एक कुश्ती प्रतियोगिता के बहाने बुलाया। उसने कई राक्षस और पहलवान भेजे, लेकिन श्रीकृष्ण और बलराम ने सबको हरा दिया। अंत में श्रीकृष्ण ने कंस को मल्लयुद्ध में मार गिराया। इस जीत ने मथुरा को कंस के अत्याचार से मुक्त किया और श्रीकृष्ण को "कंसनाशक" के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। यह लीला अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।


महाभारत में श्रीकृष्ण गीता का उपदेश -श्रीकृष्ण का प्रभाव महाभारत में भी देखने को मिलता है। कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले अर्जुन युद्ध करने से डर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें भगवद्गीता का उपदेश दिया, जिसमें कर्म, धर्म, भक्ति और ज्ञान की गहरी बातें थीं। उन्होंने अर्जुन को समझाया कि कर्म करना हमारा कर्तव्य है, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। युद्ध में श्रीकृष्ण ने पांडवों की रणनीति बनाई और उनकी जीत सुनिश्चित की, बिना खुद हथियार उठाए। यह लीला हमें सिखाती है कि सही मार्गदर्शन और बुद्धि से बड़ी से बड़ी चुनौती जीती जा सकती है।


बांसुरी का जादू श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती थी। गायें, पक्षी, नदियाँ और यहाँ तक कि पेड़-पौधे भी उनकी धुन पर झूम उठते थे। यह बांसुरी केवल संगीत का साधन नहीं थी, बल्कि शांति और प्रेम का संदेश देती थी। उनकी यह लीला हमें सिखाती है कि संगीत और प्रेम की शक्ति हर बाधा को पार कर सकती है।


श्रीकृष्ण की शिक्षाएँ  -श्रीकृष्ण की हर लीला हमें कुछ न कुछ सिखाती है। उनकी माखन चोरी हमें जीवन में मासूमियत और खुशी ढूंढना सिखाती है। गोवर्धन लीला प्रकृति के प्रति सम्मान का पाठ पढ़ाती है। रासलीला भक्ति की गहराई दिखाती है, और कंस वध हमें अधर्म से लड़ने की प्रेरणा देता है। गीता के उपदेश आज भी हमें जीवन की उलझनों से निकलने का रास्ता दिखाते हैं।


आज के समय में श्रीकृष्ण की लीलाएँ आज भी जीवित हैं। जन्माष्टमी पर उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। वृंदावन, मथुरा और द्वारका उनके भक्तों के लिए पवित्र स्थल हैं। उनके भजन, नृत्य और कहानियाँ हर पीढ़ी को प्रेरित करती हैं। वे हमारे संस्कारों और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।



भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ एक अनमोल खजाना हैं। उनका जीवन हमें प्रेम, शक्ति, चतुराई और धर्म का संदेश देता है। उनकी हर लीला एक कहानी से बढ़कर है; यह जीवन जीने की कला है। चाहे वह माखन चुराने की शरारत हो या महाभारत में ज्ञान देना, श्रीकृष्ण हर रूप में अनोखे हैं। इस लेख के माध्यम से हमने उनकी लीलाओं को विस्तार से जाना, जो न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं। आइए, हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके जीवन से प्रेरणा लें।

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ |Shri Krishna ke leelayen श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ |Shri Krishna ke leelayen Reviewed by Health gyandeep on मार्च 23, 2025 Rating: 5
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