अंधेरे में उजाला एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक बहुत ही गरीब परिवार का बोझ उसके कंधों पर |hindi story with moral
एक छोटे से गाँव में, रमेश नाम का एक लड़का रहता था। रमेश बहुत ही गरीब परिवार से था। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी, और उसकी माँ बीमार रहती थी। घर चलाने के लिए रमेश को छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे। उसकी उम्र तो सिर्फ 19 साल की थी, लेकिन जिम्मेदारियों का बोझ उसके कंधों पर बहुत भारी था !
एक दिन, रमेश की माँ की तबीयत बहुत बिगड़ गई। डॉक्टर ने कहा कि उन्हें जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जाना चाहिए। लेकिन अस्पताल गाँव से बहुत दूर था, और रमेश के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी माँ को वहाँ ले जा सके।
रमेश बहुत परेशान हो गया। उसने गाँव के लोगों से मदद माँगी, लेकिन सभी ने मना कर दिया।
कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नहीं था। रमेश ने सोचा कि शायद उसकी जिंदगी में कभी उजाला नहीं आएगा। वह अंधेरे में भटक रहा था।
लेकिन रमेश हार मानने वाला नहीं था। उसने ठान लिया कि वह अपनी माँ को बचाने के लिए कुछ भी करेगा। उसने गाँव के बाहर जाकर काम ढूँढ़ना शुरू किया। कई दिनों तक वह भूखा-प्यासा घूमता रहा, लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला।
एक दिन, जब रमेश थककर एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था, तो उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। वह आदमी बहुत ही दयालु लग रहा था। उसने रमेश से पूछा, "बेटा, तुम इतने उदास क्यों हो?"
रमेश ने अपनी सारी कहानी उस बूढ़े आदमी को सुनाई। बूढ़े आदमी ने रमेश की बात सुनकर कहा, "बेटा, तुम्हारी मदद करने के लिए मैं तैयार हूँ।
मेरे पास एक छोटी सी दुकान है, तुम वहाँ काम कर सकते हो। मैं तुम्हें पैसे दूँगा, और तुम अपनी माँ का इलाज करवा सकते हो।"
रमेश की आँखों में आँसू आ गए। उसने बूढ़े आदमी को धन्यवाद दिया और उसकी दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। रमेश बहुत मेहनती था। वह दिन-रात काम करता और अपनी माँ के इलाज के लिए पैसे जमा करता।
कुछ महीनों बाद, रमेश ने इतने पैसे जमा कर लिए कि वह अपनी माँ को अस्पताल ले जा सके। डॉक्टरों ने उसकी माँ का इलाज किया, और धीरे-धीरे उनकी तबीयत सुधरने लगी।
रमेश की माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, "बेटा, तुमने मेरी जान बचाई। तुम्हारी मेहनत और हिम्मत ने हमारे जीवन में उजाला ला दिया।"
रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "माँ, अंधेरे में भी उजाला होता है। बस हमें उसे ढूँढ़ना होता है।"
उस दिन के बाद, रमेश और उसकी माँ की जिंदगी बदल गई। रमेश ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाई। उसने अपनी माँ के साथ एक खुशहाल जीवन बिताया।
रमेश की कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, हमें हार नहीं माननी चाहिए। अंधेरे में भी उजाला होता है, बस हमें उसे ढूँढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।
रमेश की कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किल समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अगर हम मेहनत करें और सही रास्ते पर चलें, तो अंधेरे में भी उजाला मिल सकता है। जिंदगी में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हर रात के बाद सुबह जरूर होती है।
