कुछ वर्षों बाद तीनों मित्र बहुत सारा धन कमाकर गाँव लौटने लगे। रास्ते में उन्हें एक साधु |hindi kahaniyan
किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में तीन मित्र रहते थे राम, मोहन और सुरेश। तीनों की दोस्ती बहुत गहरी थी, लेकिन उनके स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। राम बहुत ईमानदार और परिश्रमी था, मोहन चतुर और व्यावहारिक था, जबकि सुरेश थोड़ा लालची और चालाक स्वभाव का था। moral story
गाँव में खेती मुख्य पेशा था, लेकिन तीनों मित्र अपनी मेहनत से कुछ बड़ा करना चाहते थे। उन्होंने निर्णय लिया कि वे गाँव से बाहर जाकर व्यापार करेंगे और धन कमाकर वापस लौटेंगे। तीनों ने अपने-अपने परिवार से विदाई ली और यात्रा पर निकल पड़े। hindi story
कुछ दिनों के सफर के बाद वे एक बड़े नगर पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि लोग व्यापार से अच्छी कमाई कर रहे थे। तीनों ने अलग-अलग व्यापार करने का निश्चय किया।
राम ने एक छोटे से कपड़े की दुकान खोली। वह ग्राहकों के साथ ईमानदारी से व्यवहार करता और उचित दाम रखता। धीरे-धीरे उसकी दुकान चल निकली और उसे अच्छा लाभ होने लगा।
मोहन ने एक भोजनालय खोला। वह व्यावसायिक दिमाग रखता था, इसलिए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उसने कई योजनाएँ बनाईं। उसने स्वादिष्ट और सस्ता भोजन उपलब्ध कराया, जिससे उसका व्यापार भी बढ़ गया।
सुरेश ने एक सोने-चाँदी की दुकान खोली। उसका लालच उसे अधिक धन कमाने के लिए प्रेरित करता था, इसलिए उसने सोने में मिलावट करना शुरू कर दिया। जल्द ही उसे बहुत लाभ होने लगा, लेकिन उसके ग्राहक उससे असंतुष्ट रहने लगे।
कुछ वर्षों बाद तीनों मित्र बहुत सारा धन कमाकर गाँव लौटने लगे। रास्ते में उन्हें एक साधु मिला। साधु ने कहा, "बेटा, तुम्हारी मेहनत सफल रही है, लेकिन याद रखना, जीवन में धन से अधिक महत्वपूर्ण सत्य और नैतिकता है।"
तीनों मित्रों ने साधु की बात सुनी और आगे बढ़ गए। लेकिन सुरेश मन ही मन सोचने लगा कि अगर उसके पास और अधिक धन होता, तो वह सबसे अमीर बन सकता था।
यात्रा के दौरान एक घना जंगल आया। सुरेश ने मोहन और राम से कहा, "हमारे पास बहुत सारा धन है। क्यों न इसे तीन हिस्सों में बाँट लें और अलग-अलग रास्तों से गाँव लौटें?"
राम और मोहन को इसमें कोई हानि नहीं दिखी, इसलिए वे सहमत हो गए। तीनों ने सोने-चाँदी और पैसे को बाँट लिया। लेकिन सुरेश के मन में एक और योजना थी। वह सोचने लगा कि अगर उसके मित्र रास्ते में नहीं रहे, तो उसका धन और बढ़ जाएगा।
उसने चालाकी से जहर मिलाकर उनके लिए भोजन तैयार किया और सोचा कि दोनों के मरने के बाद वह सारा धन अपने पास रख लेगा। लेकिन राम और मोहन को सुरेश की नीयत पर संदेह था। उन्होंने आपस में तय किया कि सुरेश को रास्ते से हटा देना चाहिए। जब सुरेश भोजन लेकर लौटा, तो राम और मोहन ने उस पर हमला कर दिया और उसे मार दिया।
लेकिन उन्होंने यह नहीं जाना कि वह भोजन जहरीला था। दोनों ने भोजन किया और कुछ ही समय में उनकी भी मृत्यु हो गई। इस तरह लालच और धोखे ने तीनों मित्रों को उनके अंजाम तक पहुँचा दिया।
जब गाँव वालों ने यह सुना, तो वे बहुत दुखी हुए। साधु ने गाँव के लोगों से कहा, यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच, धोखा और ईमानदारी की परीक्षा हर किसी के जीवन में आती है। जो ईमानदार रहता है, वह सच्चे सुख और संतोष को प्राप्त करता है। लेकिन जो धन के पीछे अंधा हो जाता है, उसका अंत बुरा होता है।
सीख-
लालच बुरी बला है। धोखे और कपट से कमाया गया धन सदा अनर्थ लाता है। ईमानदारी और परिश्रम ही सच्ची सफलता का मार्ग है।
